पत्नी की बेरुखी लाई साली के नजदीक-3

जीजा साली चुदाई कहानी में पढ़ें कि उम्र के साथ बीवी ने सेक्स में रूचि लेनी बंद कर दी. तो पति ने अपनी वासनापूर्ति के लिए इधर उधर देखना शुरू किया.

कहानी के दूसरे भाग
पति ने चुदवा दिया पत्नी को अपने सामने
में आपने पढ़ा कि सेक्स में कुछ नया करने की चाह में पति ने एक मसाज़ बॉय से अपनी बीवी की मालिश करवाकर उसे चुदवा दिया.

अब आगे Jija Sali Chudai Kahani:

अगली सुबह सुधा चुप चुप थी।

हरीश ने उसे छेड़ना चाहा,
तो बहुत अनमने मन से उसने कहा- तुमने मुझे गंदा करवा दिया।

हरीश ने उसे बहुत समझाया कि जो हुआ वो अपनी मर्जी से हुआ और वो ज़िंदगी भर इसका बुरा नहीं मानेगा।
और फिर सुधा को भी तो मजा आया था, उसी की पहल पर सेक्स हुआ; तो अब अफसोस नहीं करना चाहिए।

पर सुधा का मूड ठीक नहीं हुआ।

अब इसके बाद गुरुग्राम आकर भी सुधा बिल्कुल नॉर्मल नहीं हो पाई।
सेक्स को लेकर वो बहुत उदासीन हो गयी।

अब हरीश के बहुत मनाने पर कभी सेक्स करती तो ऐसे जैसे अहसान कर रही हो और फिर मुंह फेर कर सो जाती।

हालांकि दोनों अब भी घूमने जाते, सुधा कपड़े जेवर भी खरीदती, बच्चों पर भी खूब खर्चा करते पर जब सेक्स का नम्बर आता तो हरीश को भीख सी मांगनी पड़ती और करने के बाद कोफ्त सी होती। हरीश सुधा को बहुत समझाता, सेक्स की वैवाहिक जीवन में अवश्यकता को बताता.
पर सुधा कहती- कोशिश तो कर रही हूँ, अब मन नहीं करता।

इसी कशमकश में बच्चे बड़े और नौकरी करने लगे।
सुधा की रजोवृत्ति हो गयी तो सेक्स न करने या मन न करने का उसका बहाना और पुख्ता हो गया।

अब सुधा ने एक ग्रुप जॉइन कर लिया जो महीने में दो बार वृन्दावन जाते थे और रोज सुबह दो घंटे का भजन कीर्तन मंदिर में करते।

सुधा साल में दो तीन बार 15-15 दिनों के लिए बच्चों के पास चली जाती।

जब हरीश बहुत रोते झींकते, तब उस दिन सेक्स हो जाता. फिर उसके बाद अगले 15-20 दिनों के लिए छुट्टी।
हरीश को अब भी रेगुलर सेक्स चाहिए था।

जब भी सेक्स का मन करता, वो मुट्ठी मारते।
दो चार महीने में स्पा जाकर हॅप्पी एंडिंग मसाज करवा आते.

पर इसमें अब उम्र और छाती के सफ़ेद बाल उनके अंदर हीन भावना पैदा करते।
हालांकि मसाजर लड़की उनके लंड की मजबूती की तारीफ करती और वीर्य की मात्र भी ख़ासी निकलती थी।

अब हरीश हर समय झल्लाए से रहते।
सुधा टोकती तो वो पलट कर कह देते- सब तुम्हारी वजह से है.

पर सुधा अपने को उनसे दूर करती चली गयी।

हरीश हमेशा कहते- मेरे साथ खाना खाओ, मेरे साथ नहाओ, रात को कम से कम कपड़े पहन कर बेड पर आओ!
तो सुधा बिल्कुल उल्टा करती।

सुधा की एक चचेरी बहन थी कामिनी।
उसकी शादी भी गुरुग्राम में ही हुई थी।

उसके पति राजीव शेयर मार्केट का बड़ा काम करते थे और पैसे वाले थे।
कामिनी भी उनकी काम में पूरी मदद करती।

बदकिस्मती से दोनों के कोई बच्चा नहीं था।
कामिनी राजीव से 6 साल छोटी थी यानि सुधा से लगभग 12 साल छोटी।
थी बला की खूबसूरत और चंचल!
हरीश से जीजू-जीजू कह कर अटकती रहती।

हरीश की हिम्मत तो कभी नहीं पड़ी पर कामिनी उनकी सपनों की रानी और मुट्ठ मारते समय उनके दिमाग में होती।

हरीश को भी राजीव ने शेयर मार्केट का चस्का लगा दिया था तो हरीश को दिन में दो चार बार राजीव या कामिनी से बातें करनी ही पड़तीं।

कोविड 2 ने राजीव को छीन लिया।
कामिनी बिलकुल टूट गयी।

ऐसे में सुधा और हरीश ने उसका पूरा साथ दिया, उन्होंने कामिनी को अपने साथ रखा।

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तीन महीने साथ रहने के बाद उन लोगों ने सुधा और कामिनी की इच्छा पर यह फैसला किया कि सुधा अपनी कोठी को किसी कंपनी को किराये पर उठा दे जिससे काफी ख़ासी आमदनी हो जाएगी और शेयर बिजनेस वो हरीश के साथ ही करे और छोटे पैमाने पर ताकि रिस्क ज्यादा न हो।

कामिनी को अटपटा लग रहा था पर कोई और रास्ता भी नहीं था.
और सुधा और हरीश भी तो अकेले रहते थे तो उन्हें भी अच्छा ही लगा।

अब कामिनी को इन लोगों के पास रहते छह महीने होने को आए।
वो हरीश और सुधा के खिंचाव से स्तब्ध थी।

उसने सुधा को समझाने की कोशिश की तो सुधा ने उसे यह कह कर टाल दिया कि तू जब मेरी उम्र पर आएगी तो तू भी ऐसी ही हो जाएगी।

कामिनी और हरीश की खूब पटती थी।

एक तो दोनों अपने ऑफिस में 5-6 घंटे साथ रहते और दूसरे हरीश कैसे भी सही पर दिल के साफ और हंसमुख थे.
कामिनी भले ही उनकी सोच में शामिल रही हो, पर इस हादसे के बाद उन्होंने उसे पूरा संरक्षण दिया था, कभी कोई ऐसी बात नहीं की जो कामिनी को नागवार गुजरती।

बल्कि अब तो हरीश अपनी दिल की परेशानी कामिनी से शेयर कर लेते।
धीरे धीरे कामिनी ने अपने को संभाल लिया था और वो हरीश और सुधा के साथ बहुत घुलमिल गयी थी।

तीनों अक्सर एक साथ ही सो जाते क्योंकि अब सुधा तो बिलकुल हरीश को हाथ भी नहीं लगाने देती।

नाइट ड्रेस भी कामिनी तो हल्की और चोटी पहन लेती पर सुधा तो पूरी लंबी नाइटी या नाइट सूट पहन कर सोती।
कामिनी भी हंस कर कह देती- क्या दी, क्या रात को कीर्तन में जाना है?

सुबह तो तीनों चाय साथ साथ ही पीते पर उसके बाद सुधा जल्दी जल्दी नहाकर मंदिर चली जाती. फिर आराम से 11 बजे तक वापिस आती।

इस बीच हरीश और कामिनी एक बार दोबारा चाय पीते, फिर 9 बजे तक अपने ऑफिस में आ जाते।

नहाना या तो पहले कर लेते या फिर मार्केट शुरू हो जाता … उसके बाद।

कामिनी वापिस साली बनकर हरीश से अटकती अब!
हरीश भी उसके साथ खुश रहने लगे थे।

एक दिन किसी स्टॉक में दोनों को अच्छा मुनाफा हुआ तो कामिनी खुशी से हरीश से लिपट गयी.
उस दिन हरीश को उसके मांसल मम्मों के गुदगुदेपन का एहसास हुआ।

अब हरीश के मन और शरीर की भूख दोबारा कामिनी को देख कर जागने लग गयी थी।
हरीश ने कामिनी के बाथरूम की किवाड़ में एक सुराख कर लिया और अब उसको नहाते देखना उनका शगल बन गया।

कामिनी वाकई काम की देवी थी। उसका गोरा जिस्म हरीश के दिलो दिमाग पर हावी हो गया था।
अब वो अक्सर कामिनी को इधर उधर छू लेते पर कामिनी के चेहरे पर कभी कोई शिकन नहीं आई। बल्कि वो भी जाने अंजाने हरीश के नजदीक ही आ रही थी।

कुछ तो किस्मत ने लिखा होगा ऐसा; जब से कामिनी और हरीश ने एक साथ शेयर का काम किया था, तब से उन्हें खासा मुनाफा हुआ था।
तो कामिनी भी हरीश को अपने लिए लकी मानने लगी थी और वो सुधा के रूखेपन से नाराज थी और हरीश से हमदर्दी रखने लगी थी।

अपने तय कार्यक्रम से सुधा अपनी टोली के साथ सुबह ही वृन्दावन चली गयी।
उसे रात को वहीं रुकना था।

जब से कामिनी आई है, सुधा पहली बार रात को रुकने के लिए जा रही थी।
पहले तो उसने अपनी टोली को मना कर दिया, फिर कामिनी के कहने पर जाने का मन बना लिया।

उस दिन शनिवार था तो शेयर मार्केट बंद था।
जाड़े के दिन थे।
हरीश चाय पीकर दोबारा सो गए।

कामिनी थोड़ी देर तक तो उन्हें छेड़ती रही पर जब हरीश सो गए तो वो भी अपने कमरे में चली गयी।

थोड़ी देर में हरीश उठे और नहाने के लिए अपने वाशरूम में गए।
काम कुछ था नहीं तो आराम से बाथ टब में गर्म पानी भर कर लाइट बंद करके लेट गए।

उधर कामिनी भी अपने बाथरूम में नहाने गयी तो पता नहीं कैसे उसके गीजर में गर्म पानी नहीं आ रहा था।
कपड़े वो उतार चुकी थी तो उसने केवल तौलिया लपेटा और यह सोचकर कि जीजू तो सो रहे हैं, चुपचाप उनके बाथरूम में नहा आती हूँ; तौलिये में ही हरीश के बाथरूम में घुस गयी और दरवाजा बंद करके तौलिया उतार कर जैसे ही निगाह घुमाई तो हरीश नंग धड़ंग बाथटब में लेटे हुए भौंचक्के से उसे देख रहे थे।

वैसे तो हरीश ने कितनी ही बार छेद से कामिनी को नंगी देखा था, पर आज एक दूसरे के सामने पहली बार नंगे खड़े थे।

कामिनी जोर से सॉरी सॉरी कहती तौलिया लपेट कर अपने कमरे में भागी।
इधर हरीश जैसे तैसे नहाकर तौलिया लपेट कर बाहर आए तो उन्हें कामिनी के रूम से सिसकने की आवाज आई।
वो तौलिये में ही उसके रूम में चले गए।

कामिनी ऐसे ही तौलिये में बेड पर औंधी पड़ी सिसक रही थी।

हरीश ने उसे आवाज दी और पुचकारते हुए कहा- कामिनी, ये तो अनजाने में हुआ, इसमें परेशान क्या होना!
कामिनी खड़ी हो गयी, बोली- दीदी को मत बताइएगा प्लीज़।

हरीश हंस पड़े बोले- तुम बच्ची ही हो। भला मैं क्यों बताऊँगा? और तुम तो अपनी दीदी को जानती नहीं हो … अब तो उसे मुझसे लड़ने का बहाना चाहिए। मैं तो, जब से तुम आई हो, तबसे दोबारा जीने लग गया हूँ।

कामिनी को पता नहीं क्या हुआ, वो हरीश से चिपट गयी।

जो शरीर की भूख दोनों के जिस्म में थी, आज लावा बनकर फूट गयी।

हरीश ने कामिनी का मुंह ऊपर किया और उसे किस किया तो कामिनी ने अपने होंठ उनके होंठों से भिड़ा दिये।

फिर तो जो वासना की आँधी चली तो तौलिये कब उतार कर नीचे गिर पड़े। हरीश और कामिनी भूखों की तरह एक दूसरे से चिपट गए थे और बेतहाशा एक दूसरे को चूम रहे थे।

हरीश ने कामिनी को गोदी में उठाया और बेड पर लिटाया।
कामिनी तो हरीश को कस के भींची हुई थी।
आज उसे अपने जिस्म की आग तो बुझती प्रतीत हो ही रही थी.
उसे यह भी एहसास हो रहा था कि उसे राजीव के बाद जो संरक्षण हरीश ने दिया, वो और मजबूत होगा और कामिनी को भी हरीश के जीवन में हरियाली लाने का मौका मिलेगा।

वो शायद अपना मन बना चुकी थी कि वो हरीश को हर तरह का शारीरिक सुख देगी जिसके लिए हरीश तड़प रहे हैं।

हरीश कामिनी के मम्मों को अदल बादल कर चूस रहे थे तो कामिनी भी अपनी मुट्ठी में उनका लंड पकड़ कर मसल रही थी।

कामिनी ने हरीश को नीचे धकेला, मानो कह रही हो कि मेरी चूत चूसो।
हरीश ने तुरंत नीचे होकर कामिनी की चूत में जीभ घुसा दी।

कामिनी की चूत बालों से घिरी हुई थी क्योंकि पिछले कामिनी की इच्छा ही नहीं हुई कि वो इसके बारे में सोचे।

हाँ, जब हरीश ने अपनी जीभ घुसाई तो कामिनी कह उठी- जीजू, आज बहुत गंदी हो रही है मेरी, अब आपके लिए साफ किया करूंगी।

दोनों 69 हो गए।

चूसते चूसते कामिनी ने कहा- सच कहूँ जीजू, जब राजीव थे तो वो तो अक्सर कहते थे कि हरीश जीजू तुम पर लाइन मारते हैं, एक बार तुम उन्हें मजे दे ही दो। मुझे भी आप अच्छे लगते थे. पर आपके साथ सेक्स करूंगी, ऐसा नहीं सोचा था।

हरीश ने ईमानदारी से कहा- कामिनी, तुम हमेशा से मेरी सपनों की रानी रही हो, तुम्हें सोच कर कितनी बार मैंने हाथ से निकाला है. पर राजीव के जाने के बाद ऐसा सोचना मेरे लिए संभव नहीं था। पर हाँ, पिछले कई दिनों से तुम फिर मेरे दिलो दिमाग पर हावी हो गयी थीं।

अब समय न खराब करते हुए हरीश ने कामिनी को नीचे लिटाया और उसकी टांगें चौड़ा कर अपना मूसल पेल दिया।
कामिनी चीखी, बोली- जीजू, बहुत मोटा है आपका। पता नहीं दी कैसे झेलती होगी आपको! जरा धीरे धीरे शुरू कीजिये फिर रफ्तार पकड़िएगा।

हरीश की वरजिश और योग आज चुदाई में अपना कमाल दिखा रहे थे।
कामिनी बार बार उनके स्टेमिना की तारीफ करती।

कामिनी भी सेक्स की शौकीन थी और छह महीने से उसकी चूत भूखी थी।
तबकामिनी ने हरीश को नीचे किया और उनके ऊपर चढ़ कर अपनी हवस की आग को शान्त किया।

जीजा साली चुदाई के बाद दोनों निढाल होकर वहीं पड़े रहे।

उसके मम्मों पर उँगलियाँ फिराते हुए हरीश ने कहा- कामिनी, मैं कभी नहीं भटकता! पर तुम्हारी दीदी ने मुझे मजबूर कर दिया किसी और औरत के बारे में सोचने के लिए।
हरीश फिर बोले- मेरा मानना है कि अगर औरत अपनी पेंटी में मर्द को घुसा कर रखे तो शायद ही कोई मर्द बाहर मुंह मारे।

कामिनी भी एक बार तो परेशान होकर बोली- जीजू, मैंने भी गलती की है, राजीव से बेवफाई की है आज!
पर हरीश ने उसे समझाया- हम दोनों ने कोई गलती नहीं की। यह तो जिस्म की भूख है, जो हमें मिटानी ही है। अब अगर हमारे पार्टनर हमारे साथ नहीं तो कहीं तो हम ये भूख मिटाएँगे ही। अगर तुम नहीं मिलतीं तो शायद मैं कालगर्ल के पास जाता। अब तुम बताओ कि क्या हम एक दूसरे का साथ दें या फिर बाहर मुंह मारें?

कामिनी यह सुन कर हरीश से चिपट गई और बोली- जीजू मैं आपकी हूँ। पर आपके और दी के बीच में कभी नहीं आऊँगी। उन्हें कभी कुछ नहीं पता चलेगा। जिस्म की भूख जितनी आपके अंदर है, उतनी मेरे अंदर भी है। अब हमें एक दूसरे का साथ देना ही पड़ेगा। अब चलिये, साथ साथ नहाएँ। मुझे भी छह महीने हो गए अकेली नहाते।

हरीश हंस कर बोले- मुझे तो सालों हो गए किसी की पीठ रगड़े। पर हाँ, तुम चूसती बिल्कुल अपनी दी की तरह हो।
कामिनी बोली- आप सब मर्द एक से होते हो, राजीव भी मेरे मम्मों पर ही पिलते थे। रही चूसने की बात … तो चलिये शावर के नीचे चूसूंगी और आप खड़े होकर एक राउंड और लगा लेना।

तो दोस्तो, कैसी लगी आपको कहानी?
शायद हरीश की कहानी इस उम्र के अनगिनत मर्दों की कहानी है जिनका खड़ा तो होता है अपनी बीवी के नाम का, पर उन बीवियों के बेरुखेपन के कारण वो मर्द किसी और के अंदर खाली कर आते हैं।

बताइएगा क्या सोच रहे हैं आप इस जीजा साली चुदाई कहानी पर?
मुझे मेरी मेल आई डी [email protected] पर।