टीचर गे चुदाई कहानी में पढ़ें कि मुझे मेरे चाचा ने गांड मरवाने की लत लगा दी थी. कोचिंग के टीचर से गांड मरवाने की चाह होने लगी. मैं उन्हें सेट करने की तरकीब सोचने लगा.
मेरा नाम अभय है और मैं जयपुर में कोचिंग में अपनी पढ़ाई करता हूँ. मेरी उम्र 25 साल है.
मेरा दिल एक टीचर पर आ गया, जो बहुत सुंदर दिखते थे. उनका नाम मनोज यादव है, उम्र 38 साल की है.
यह Teacher Gay Chudai Kahani इन्हीं टीचर की है.
मुझे कोचिंग क्लास में पढ़ाई करते हुए एक महीना हो गया था.
मैं मनोज सर के बारे में सोच सोच कर पागल हो गया था. मैं सोचता कि काश उनके साथ सेक्स होता, तो मजा आ जाता.
आपको मैं बता दूं कि मैंने मनोज सर के बारे में सोच कर कई बार हस्तमुथैन भी किया है और बहुत बार उनकी बांहों में सोने के सपने भी देखे हैं.
लेकिन अब मैं हकीकत में ये सब करना चाहता था इसलिए मैंने मनोज सर को अपने रूम पर पढ़ाने के लिए बात की.
उन्होंने फीस कुछ ज्यादा बता दी लेकिन मेरा दिल उन पर आ गया था तो मैं उनकी सब डिमांड पूरी करने के लिए तैयार हो गया.
क्या करूँ यार … काफी पहले चाचा जी ने मेरी गांड जो मारी थी, तभी से मेरा मन किसी सुंदर मर्द को देखते ही मचलने लगता है.
मनोज सर भी बहुत ही सुंदर हैं, इसलिए मेरे जिस्म की गर्मी बाहर आने को बेताब हो रही थी.
शाम सात से आठ बजे मनोज सर मुझे पढ़ाने के लिए आने लगे.
कुछ दिन हो गए लेकिन बात नहीं बन रही थी.
अब क्या करूँ … इसलिए मैंने सर को मैंने अपने यहां रूम पर खाने के लिए बोल दिया.
मनोज सर तैयार हो गए.
मैंने सर के लिए एक अच्छी सी ड्रेस खरीद ली और जैसे सर मेरे रूम पर आए, वो कपड़े उनको पहनाने के लिए राजी कर लिया कि मनोज जी मैं ये कपड़े आपको अपने हाथों से पहनाना चाहता हूँ.
सर एक बार तो मुस्कुराते हुए शर्मा गए.
उनकी वही मुस्कान मेरे दिल को बहुत अच्छी लगी.
फिर जैसे ही सर ने कपड़े निकाले, वैसे ही मैंने उनके बदन को अपने हाथों से छू लिया.
मेरे बदन में एकदम से जैसे बत्ती जल गई.
मैं मनोज सर को पैंट पहनाने लगा.
इसी बहाने मैंने मनोज सर के लंड को तीन बार जानबूझकर हाथ लगा लिया.
मनोज सर ने इस बात को गौर से नहीं देखा था.
फिर शर्ट पहनाने से पहले मैंने सर को अपनी सीने से लगा लिया.
सर कुछ समझते, इस पहले मैंने मनोज सर को आई लव यू बोल दिया.
मैंने कह दिया कि सर मैं आपसे प्यार करता हूँ.
मनोज सर ने मुझे अपने से दूर कर दिया और बोले- अभय, ये तुमको क्या हो गया है?
“सर मैंने जब से आपको देखा है, तभी से मुझे आपसे प्यार हो गया है. सुबह शाम बस आपके बारे में ही सोचता रहता है … क्या करूं मैं, आप ही बताओ. आपकी सुन्दरता मुझे आपकी ओर खींच ले आती हैं. सर ये रूम पर पढ़ाई आप से प्यार करने के लिए शुरू की, नहीं तो वहां पर भी तो पढ़ाते थे. लेकिन मैं आपका प्यार पाना चाहता हूँ सर!”
मेरी ये सब बातें सुनकर मनोज सर उतेजित हो गए.
वे मेरे मन की बात समझ गए थे.
मनोज सर ने कहा- चलो, पहले खाना खा लेते हैं … ठीक है?
हम दोनों बैठे, खाना खा रहे थे लेकिन दिल दिमाग दोनों का ही घूम रहा था.
वो भी शायद यही बात सोच रहे थे.
खाना पूरा हुआ तो मनोज सर ने मुझे अपने पास बुलाया और लव यू बोल कर मेरे हाथ पर किस कर दी.
मैं तो मानो निहाल हो गया था, सर उस रात मेरे पास सोने के लिए राजी हो गए.
मनोज सर ने लाईट बंद कर दी और अपने सारे कपड़े निकाल दिए.
इससे पहले कि मैं कुछ समझता, सर ने मुझे बेड पर गिरा लिया और मुझसे लिपट गए.
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“आई लव यू यार अभय … तुम मुझे इतना प्यार करते हो, मुझे पता ही नहीं था.”
सर को नंगा देखकर मैंने सारे कपड़े निकाल दिए और सर से लिपट गया.
“हां मनोज, मैं आपको बहुत प्यार करता हूँ. मैं कह ही नहीं पाया इतने दिनों तक आई लव यू.”
मनोज सर ने मेरे होंठों पर होंठ रखते हुए मेरी मदहोश जवानी में आग लगा दी.
मैं सर के होंठों को चूमने लगी.
सर मेरे ऊपर आ गए. मेरी आंखों में आंखें डाल कर चूम रहे थे.
मैं बस उनके जिस्म की गर्मी पाकर सर को अपने बदन से लिपटाए जा रहा था.
मनोज सर के मुँह में मैं अपने होंठों को देने लगा और वो मेरे होंठों को बड़े प्यार से काटने लगे.
मनोज सर मेरे गले के पास किस करते हुए मेरी छाती के दोनों निप्पलों को बारी बारी से चूसने लगे थे.
मैं ऐसे आहें भर रहा था, जैसे कोई औरत अपने नए पति से मिलती है.
सर मेरे बदन को काटने लगे, जो मेरी जवानी की गर्मी को ठंडक दे रहा था.
मैंने सर को अपने पास खींच लिया और उनके होंठों पर अपने होंठ रख दिए.
अब मेरी जीभ मनोज सर के मुँह में जाने लगी थी.
मनोज सर भी बड़े प्यार से मेरी जीभ चूसते हुए मेरा साथ देने लगे.
सर के बदन को किस करते हुए मैं उनकी जांघों तक पहुंच गया और सर की अंडरवियर को निकाल दिया.
सर की अंडरवियर हटते ही उनके लौड़े के दीदार हुए.
मैंने उनके लौड़े को अपने मुँह में भर लिया.
मेरे ऐसा करते ही सर की “आहह …” निकलने लगी.
मैं प्यार से लौड़ा चूसने लगा.
“आहह ईई सीईई … जानू … आह बहुत ही ज्यादा मजा आ रहा है.”
मैं भी मनोज सर का लौड़ा चूस कर खुश हो गया कि आज मुझे सर का प्यार मिल गया है. मैं सर को पूरी तरह से खुश करना चाहता था इसलिए मैंने उनका लंड खूब चूसा.
काफी देर तक लंड चूसते रहने के साथ ही सर उछल उछल कर मेरे मुँह में झटके झटके दे रहे थे.
फिर एक जोरदार झटके साथ ही सर ने अपने लंड का पानी मेरे हलक में छोड़ दिया.
मैं सर के लंड का स्वाद चखते हुए पूरा पानी पी गया और साथ ही इस तसल्ली के साथ कि सर ने मेरे दिल की तमन्ना पूरी कर दी, सर के लंड को जीभ से चाट कर साफ कर दिया.
मनोज सर बेड पर आराम से लेटे हुए थे. मैं उनके करीब जाकर लेट गया.
सर ने मेरे ऊपर टागें डालकर हाथ डाल दिया और वो मेरे शरीर से चिपक गए.
सर बोले़- अभय, आज तो तुमने मेरी घरवाली से भी ज्यादा मजा और सुकून दिया है. मेरी जान बहुत मजा आया है.
अब मैं और सर एक दूसरे से लिपट गए और सो गए.
मुझको नींद नहीं आ रही थी और मैं मनोज सर के लंड से चुदने के लिए बेताब हो रहा था.
मनोज सर को फिर से जगाने के लिए मैं उनके सिर पर हाथ फेरने लगा.
बस अब सर ने मेरे गाल पर फिर से किस की और लंड चूसने के लिए कहा.
मैंने सर के लंड को मुँह टोपे जीभ से चाट कर उसे पूरा जोश से भर दिया.
उनका लौड़ा फनफनाना कर मुझे डसने के लिए तैयार हो गया था.
मनोज सर के सामने मैंने झुक कर अपनी गांड पेश कर दी.
मनोज सर समझ गए कि इसी छेद की सर्विसिंग होनी है.
उन्होंने बगल में रखी तेल की शीशी से थोड़ा सा तेल अपनी हथेली पर लिया और अपनी उंगलियों की सहायता से मेरी गांड में टपकाना शुरू कर दिया.
फिर उन्होंने सीधे तेल की शीशी से ही गांड के छेद में तेल टपकाना शुरू किया और एक उंगली की मदद से अन्दर तक तेल लगाने लगे.
फिर उन्होंने अपने लौड़े को हाथ से मुठियाते हुए उसे तेल से सराबोर कर लिया.
अब सर का सात इंच लंबा लौड़ा मेरी गांड को चोदने के लिए तैयार हो गया था.
सर ने मेरे चूतड़ों पर अपनी हथेली से थपथपा की लौड़े के सुपारे को छेद पर सैट कर दिया.
फिर एक ही झटके में मेरी गांड में अपना मूसल पेल दिया.
“आह … उईउई ईईई सीसई.”
मेरी दर्द भरी मीठी आवाज निकलने लगी थी क्योंकि सर ने अपना पूरा लौड़ा एक बार में ही पेल दिया था.
उनका हथियार काफी कड़क था और उन्होंने उसे मेरी गांड को फाड़ते हुए अन्दर तक घुसेड़ दिया था.
“आहहह जानू … आज ही फाड़ दोगे क्या मेरी गांड को आह बहुत लंबा है आह मर गई.”
मेरी इन आवाजों का मनोज सर पर कोई फर्क नहीं पड़ रहा था. उन्होंने मुझे घोड़ी बनाते हुए मेरी कमर पकड़ ली और धाड़ धाड़ शॉट मारने लगे.
मैं घोड़ी बना जरूर था लेकिन अधमरी कुतिया की तरह मिमयाते हुए लौड़ा खा रहा था.
सर मस्त हो गए थे और झटके पर झटके दिए जा रहे थे.
कुछ ही देर में दर्द जाता रहा और अब मैं उछल उछल कर अपनी गांड मस्ती से चुदवाए जा रहा था.
सर की मादक आवाजें मेरी मस्ती बढ़ा रही थीं- आह ले मेरी जान … चुद ले अपने सर के लौड़े से … आह कितनी मक्खन सी मुलायम गांड है तेरी … आह.
उनका लौड़ा अब मेरी गांड में फूल कर कुछ ज्यादा ही मोटा हो गया था. इससे मेरी गांड को और ज्यादा मजा आ रहा था.
मैं इस लज्जत से मानो पागल हो गया था. मनोज टीचर जी का लंड झटके पर झटके ले लेकर गांड की खुजली मिटा रहा था.
मेरा पूरा बदन गर्म हो गया था.
मनोज सर अभी भी मेरी गांड को चोदे जा रहे थे- आह ले मेरी जान … चुद ले अपने यार के लंड से … आह.
फिर कुछ देर ही बाद मनोज के लंड की रफ्तार बढ़ गई और वो पूरी तेजी से अपनी कमर को चलाते हुए लंड पेले जा रहे थे.
उनके झटके मेरी मदहोश जवानी को रंगीन बना रही थी.
“आह मेरी जान आज मेरी खुशी का ठिकाना नहीं रहा.”
“बस सर अब निकाल दो रबड़ी …”
“जरा और रूक जा मेरी जान … तुझे तो मैं इतने प्रेम से चोद रहा हूँ, इतना तो मैंने कभी अपनी बीवी को भी नहीं चोदा है. कसम से तेरी गांड में लौड़ा इतना मजा दे रहा है कि बाहर ही नहीं निकल रहा है.”
“आह तो चोद डालो न लौड़े से … फाड़ दो सर मेरी गांड को … आह जानू.”
मनोज सर ने बहुत तेजी से हांफते हुए मेरी गांड में अपने लंड का लावा उड़ेल दिया.
उन्होंने ऊअया करते हुए मेरी कमर को खींच कर लंड को जड़ तक पेल कर अपना सारा वीर्य मेरी गांड में छोड़ दिया और मेरे ऊपर लेट गए.
गे टीचर चुदाई करके मेरे दिल की ख्वाहिश पूरी हो गई और मेरा दिल खुश हो गया था.
मनोज सर मेरे साथ ही सो गए. अब सर से मेरे रिश्ते बन गए थे.
इसलिए अब वो मुझे रूम पर पढ़ाने नहीं आते.
वे उस दिन से मेरे कमरे पर मुझे चुदाई वाला पाठ पढ़ाने ही आते.
सर अब मेरी गांड पर फिदा हैं. मैं सर के लंड पर और उनकी खूबसूरती पर.
कई बार हम दोनों बाहर घूमने भी गए थे.
आपको मेरी ये टीचर गे चुदाई कहानी कैसी लगी, प्लीज बताएं.
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