डेटिंग एप से हुआ चूत का जुगाड़

Xxx डेटिंग ऐप सेक्स कहानी में पढ़ें कि कैसे मैंने ऑनलाइन ऐप से एक लड़की से दोस्ती की, उसे होटल में चलाने के लिए मनाया और वहां हम दोनों ने सेक्स का भरपूर मजा लिया.

दोस्तो, मैं दीपक (बदला हुआ नाम) एक बार फिर अपनी एक नई सेक्स कहानी के साथ आप लोगों के सामने उपस्थित हुआ हूँ.

बस आप लोगों से एक अनुरोध है कि मैं लड़कों को नहीं, लड़कियों को चोदने में रूचि रखता हूँ.

मेरी पहली गर्लफ़्रेंड से ब्रेकअप के बाद अब मैं किसी नई चूत के जुगाड़ में लगा था.
दोस्तो, यह बात एकदम सत्य है कि अगर काफ़ी समय से चूत ना मिले, तो आदमी बौरा जाता है.
मेरे साथ भी कुछ ऐसा ही हुआ.

Xxx Dating App Sex Kahani का मजा लें.

मैंने चूत के चक्कर में एक डेटिंग एप को इंस्टॉल किया.
सामान्यतया एप इंस्टॉल करते ही आपके पास कोई मैच नहीं आता है, आपको थोड़ा धैर्य रखना पड़ता ह

मगर मुझसे तो रुका ही नहीं जा रहा था.
लेकिन जब तक कोई जुगाड़ ना मिल जाए, तब तक रुकना मेरी मज़बूरी हो गयी थी.

एक दिन रात में मेरा एक लड़की के साथ मैच हुआ.
लड़की का नाम स्नेहा हाज़रा था.
वह एक बंगाली थी लेकिन नोएडा में ही अपने परिवार के साथ रहती थी.

जैसे ही स्नेहा से मेरा मैच हुआ, सबसे पहले मैंने उसकी प्रोफाइल पर लगी उसकी 5 फोटो खूब अच्छे से देखीं.

दोस्तो, मुझे बड़े बूब्स वाली लड़कियां ज़्यादा पसंद हैं और स्नेहा के दूध काफी बड़े दिख रहे थे.

कुछ ही समय में हमारी बातें शुरू हो गईं.

बातें शुरू होने के दो ही दिन बाद हम रिलेशनशिप में भी आ गए.

स्नेहा ने बताया था कि पहले उसके 4 बॉयफ्रेंड्स रह चुके हैं लेकिन जो उसका आख़िरी बॉयफ्रेंड था, उससे उसको सच्चा प्यार था.
उन दोनों ने काफ़ी चुदाई भी की है.

स्नेहा को भी मुझमें इंटरेस्ट आने लगा था.
हमने ये निश्चय किया कि हम दोनों शनिवार को मिलेंगे और एक मूवी देखने जाएंगे.

शनिवार इसलिए भी ठीक था क्योंकि स्नेहा के कॉलेज की शनिवार की छुट्टी होती थी.

लेकिन उसके घर वालों को इस बात की खबर नहीं थी कि वह उस दिन अपने पहले वाले बॉयफ्रेंड से मिलने जाती थी.
आज ब्रेकअप के बाद वह मुझसे मिलने आने वाली थी.

काफी इंतज़ार के बाद आखिर शनिवार आ ही गया.
मैंने जानबूझ कर कोई पुरानी सी और फ्लॉप मूवी की टिकट्स बुक की थी और वह भी कोने की.

मैं सुबह 9 बजे मेट्रो स्टेशन पहुंच गया.
वहां स्नेहा पहले से ही मेरा इंतज़ार कर रही थी.

मैंने उसको नहीं पहचाना क्योंकि फोटो उसने काफ़ी फिल्टर्स के साथ लगा रखी थी.

सामने से असल में वह उतनी गोरी नहीं थी.
लेकिन स्नेहा ने मुझे पहचान लिया था.

मेट्रो स्टेशन की सीढ़ियां उतरते ही वह मेरे पास आ गयी और मुझे हग कर लिया.

अब मैं आप लोगों को स्नेहा के बारे में बताता हूँ.
स्नेहा का कद 5 फुट के आस-पास का ही था.
वह दिखने में थोड़ी काली और मोटी थी लेकिन उसके कर्व्स बड़े लाजवाब थे.

उसका फिगर 36-32-38 का था.
मोटे-मोटे बूब्स और मोटी-मोटी गांड देख कर तो मेरे मुँह में पानी ही आ गया था.
मन कर रहा था कि इसे अभी यहीं पटक कर चोद दूँ.

पर यह हमारी पहली मीटिंग थी तो मुझे उम्मीद नहीं थी कि आज ही इसकी चूत का जुगाड़ हो पाएगा.
इसलिए मैंने उसके बारे में ज़्यादा सोचा भी नहीं.

सुबह 9:30 बजे हम हॉल में पहुंच गए थे और मेरा अंदाज़ा बिल्कुल सही था, हॉल में हमारे अलावा एक कपल और बैठा हुआ था.

हम हमारी बुक की हुई सीट पर जाकर बैठ गए और मूवी देखने लगे.

मूवी के बीच में मैंने स्नेहा के ऊपर से हाथ ले जाकर उसको अपने पास खींच लिया और उसे बांहों में भर लिया.

मैंने उसकी तरफ देखा तो वह मुस्कुरा रही थी और उसके चेहरे से ऐसा लग रहा था मानो वह कहना चाह रही हो कि इन बांहों में मैं सुरक्षित हूँ.
उसने मेरे कान में कहा- तुम फ़ोटो से कहीं ज्यादा हैंडसम हो.

यह कह कर उसने मेरे गाल पर किस कर दिया.

मैंने उसकी तरफ देखा और थैंक्यू बोला.
साथ ही मैंने भी उसके ललाट पर किस कर दी.

थोड़ी देर हम एक दूसरे की आंखों में देखते रहे.

अब मुझसे रुका नहीं जा रहा था, मैंने झट से उसके होंठों से अपने होंठ मिला लिए.

वह मानो इसी का इंतजार कर रही थी.
उसने भी मेरे होंठों को अपने होंठों में भर लिया.

हमारी किस लगभग 15 मिनट चली.

मैंने स्नेहा की सारी लिपस्टिक चाट ली थी.
फिर हम दोनों अलग हुए.
हम दोनों हांफ़ रहे थे.

अलग होकर हमने एक दूसरे को देखा, स्नेहा मुस्कुरा रही थी और उसे देख कर मैं भी मुस्कुरा रहा था.

लेकिन सिर्फ़ एक किस से मैं कहां संतुष्ट होने वाला था.

मैं फिर से स्नेहा पर टूट पड़ा और इस बार पागलों की तरह कभी मैं उसके होंठ चूसता, कभी गले पर किस करता तो कभी उसके बूब्स दबाता.

मूवी में क्या चल रहा है, हम दोनों को ही नहीं पता था.

फिर एकदम से हॉल की लाइट जली, तो समझ आया कि इंटरवल हो चुका था.

हम दोनों जंगलियों की तरह एक दूसरे को किस कर रहे थे, जिसकी वज़ह से स्नेहा के सारे बाल बिख़र गए थे.

लाइट जलते ही सबसे पहले उसने अपने बाल ठीक किए और बाथरूम चली गई.
मैं समझ गया था कि इसकी चूत अब गीली हो चुकी है. अब असली मज़ा आने वाला है.

स्नेहा के वापस आते ही मूवी फिर से शुरू हो गयी.

उसके सीट के पास आते ही मैंने उससे सबसे आखिरी सीट पर जाने को कहा.

जैसे ही मैं पीछे वाली सीट पर गया, मैं स्नेहा के होंठों पर टूट पड़ा.

इस बार बिना देर किए मैंने उसके टॉप के अन्दर से ही उसकी ब्रा खोल दी और बूब्स चूसने लगा.
उसके निप्पल बाकियों से बड़े थे और उभरे हुए भी ज्यादा थे.

मैं पागलों की तरह उसके निप्पल को चूस रहा था.
उसी दौरान मैंने अपने दूसरे हाथ से धीरे से उसका बेल्ट खोल दिया.

मैंने फिर उसकी जींस का बटन खोला, तो उसकी चूत के पानी की मनमोहक महक आ रही थी.

उस खुशबू से मैं और उत्तेजित हो रहा था.
मैंने इस बार उसके दूसरे बूब्स को चूसना शुरू कर दिया और दूसरे हाथ से उसकी चूत में उंगली करने लगा था.

स्नेहा अपनी उत्तेजना की चरम सीमा पर थी और जोर जोर से आह भर रही थी.

इस बीच मैंने उसकी जींस घुटनों तक की और अपनी जीभ उसकी चूत के छेद में डाल दी.
चूंकि हॉल पूरा ख़ाली था तो मुझे किसी का डर नहीं था.

थोड़ी ही देर में उसके मुँह से ‘ओह यस फ़क, फ़क … आह फ़क …’ जैसी आवाजें आने लगी थीं और वह मेरा सर अपनी चूत पर दबाने लगी थी.

मैं और जोश से उसकी चूत चाटने लगा.

स्नेहा की चूत ने पानी छोड़ दिया था और उसके पानी से मेरा पूरा हाथ और मुँह भीग गया था.

उसके सामने ही मैंने उसकी चूत के पानी से भरा हाथ चाटा और फिर एक लम्बी वाली किस की.

हॉल से बाहर आते ही हम दोनों बाथरूम में गए और अपने आपको ठीक किया.
फिर हमने पिज़्ज़ा खाया और शाम तक साथ रहे.

उसने बताया कि मेरे पागलों की तरह चूसने से उसके बूब्स पर निशान बन गए हैं.

आख़िर वह दिन आ ही गया, जिसका मैं बेसब्री से इंतज़ार कर रहा था.

मेरे बहुत मनाने के बाद स्नेहा रूम में मिलने को तैयार हो गयी.
मैंने ओयो पर एक रूम बुक किया और उसको समय से बुला लिया.

हम दोनों एक मेट्रो स्टेशन पर मिले, फिर वहां से रिक्शा लेकर ओयो रूम पहुंच गए.
रूम में जाते से ही मैंने टीवी चलाया और वॉल्यूम तेज़ कर दी ताकि अन्दर की आवाज़ें बाहर नहीं जाएं.

हम दोनों चादर में लेट गए.
मैंने स्नेहा को बोला कि वह अपना सर मेरे सीने पर रख ले.

अब मैंने धीरे-धीरे माहौल बनाना शुरू किया.
मैंने सबसे पहले उसके ललाट पर किस किया.

दोस्तो, मेरा असली मक़सद तो स्नेहा की चूत लेना था लेकिन सीधा लंड चूत में डालने में उतना मज़ा नहीं आता है, जो तड़पा तड़पा कर पेलने में आता है.

मैंने उसके गालों पर खूब किस किए.

अब स्नेहा मेरे साथ रूम में थोड़ा सहज महसूस कर रही थी.
यह मौका सही था.

मैंने अपनी आंखें बंद कर लीं और धीरे से उसके होंठों के पास आकर उसके होंठ चूसना शुरू कर दिया.

कुछ ही मिनट में स्नेहा गर्म हो गयी थी.

अब मैंने अपना हाथ उसके गाल पर रखा और जंगली जानवर के जैसे उसके होंठ चूसना शुरू कर दिए.

मुझे रफ़ सेक्स करना बहुत पसंद है इसलिए अब मैं वाइल्ड होता जा रहा था.

कुछ देर बाद मैंने स्नेहा को अपने ऊपर लिया और दोनों हाथों से उसका चेहरा पकड़ कर जोर-जोर से किस करने लगा.

मैं कभी उसके होंठ चूसता, कभी उसका गला चाटता, कभी उसके कान चाटता तो कभी उसकी नाक चाटता.

अब मैं और स्नेहा काफ़ी गर्म हो चुके थे.
बस अब रहा नहीं जा रहा था.

लेकिन मैं इतनी जल्दी अपने लंड का स्वाद स्नेहा को नहीं देना चाह रहा था.

फिर मैंने स्नेहा को नीचे लेटाया और उसके ऊपर आकर उसके कपड़े उतारना शुरू कर दिए.

पहले मैंने उसका टॉप उतारा.
उसने काले रंग की समीज़ पहन रखी थी.

समीज़ के ऊपर से ही मैंने उसके बूब्स दबाने शुरू कर दिए.

मैं अपने दोनों हाथों से उसके बूब्स दबा रहा था और साथ ही उसकी जीभ भी चाट रहा था.

मैंने उसको अपने मुँह में थूकने को बोला और एक आज्ञाकारी सहचरी के जैसे उसने वैसा ही किया.
कभी वह मेरे मुँह में थूकती कभी मैं उसके.

फिर मैंने थोड़ा जोर लगाया और उसकी समीज़ फाड़ दी.
स्नेहा ये देख कर एकदम से चौंक गयी.
मैंने उसका चेहरा देखा और उसके होंठों की तरफ़ टूट पड़ा.

मैंने देखा कि ज्यादा चूसने से उसके होंठ सूज गए थे.
अब वह पहले से थोड़े बड़े दिख रहे थे.

स्नेहा कुछ बोल पाती, उससे पहले मैंने उसकी भूरे रंग की ब्रा भी फाड़ दी.

स्नेहा अब मुझसे छूटने की कोशिश करने लगी और उसे ऐसी कोशिश करनी भी चाहिए थी क्योंकि मैंने उसकी समीज़ और ब्रा फाड़ दी थी.
अब वह घर कैसे जाएगी.
उसके बूब्स सच में बहुत मोटे थे, बिना ब्रा के उछलते हुए बड़े मस्त दिख रहे थे.

‘तुम क्या पागल हो गए हो?’
जब स्नेहा ने गुस्से में मुझसे बोला तो मैं उससे दूर हुआ और बैग में से एक काले रंग की समीज़ निकाल कर उसको पकड़ा दी.

मैं उसके लिए गिफ्ट लेकर आया था.
वह थोड़ा शांत हुई लेकिन बिना ब्रा के वह घर नहीं जा सकती थी.

मैंने कहा- परेशान मत हो जान, मैं तुम्हें घर छोड़ दूंगा.
इतना कहकर मैंने उसके जीन्स का बटन खोल दिया और जबरदस्ती उसकी जीन्स उतार दी.

वह कुछ बोलती, उससे पहले मैंने उसकी चूत में चड्डी के ऊपर से उंगली कर दी.
मुझे पता था कि स्नेहा पहले काफ़ी बार चुद चुकी है, तो उसको इतना दर्द नहीं होगा.

मैंने उसकी चूत में उंगली उसको गर्म करने के लिए नहीं, उसकी चड्डी फाड़ने के लिए डाली थी.
उसको मेरी उंगली चुभी और मैंने जल्दी से उसकी चड्डी में एक छेद कर दिया.

वह संभल पाती कि दूसरे ही पल उसमें अपनी दो उंगलियां डालकर चड्डी भी फाड़ दी.
दोस्तो, नार्मल सेक्स तो सब करते हैं. लेकिन ऐसे सेक्स करने का मज़ा ही कुछ और है.

मैं उसकी फ़टी हुई चड्डी में से ही उसकी चूत पर टूट पड़ा.
स्नेहा कुछ बोलना चाह रही थी लेकिन चूत चूसने से वह मदहोश होने लगी.

अब वह मेरा सर पकड़ कर अपनी चूत में घुसाने लगी.
मैंने उसकी चूत एक जानवर की तरह चूसी, उसकी चूत में अपनी पूरी जीभ घुसा दी.

कुछ ही मिनट में स्नेहा झड़ गयी. मैंने उसका सारा पानी पी लिया.
उसकी चूत और चूत के पानी की खुशबू मुझे पागल कर रही थी.

स्नेहा का मुँह लटक गया था- तुमने मेरी चड्डी और ब्रा फाड़ दी, अब मैं घर कैसे जाऊंगी यार?
मैं उठा और बैग में से लाल चड्डी और ब्रा का जोड़ा निकला और उसको दे दिया.

यह देख कर उसके चहरे की मुस्कान वापस लौट आयी.
वह मेरे सीने से लग गई.

अब मैंने उसको पलंग पर धक्का दिया और झट से उसके ऊपर चढ़ गया.

मैंने अपना लंड स्नेहा की चूत पर रगड़ा और अन्दर पेल दिया.
स्नेहा की चूत मेरी सोच से कहीं ज़्यादा ढीली थी, ऐसा लग रहा था कि वह लंड लेने की खिलाड़ी है.

एक ही झटके में मेरा पूरा लंड चूत में चला गया.
लेकिन मैंने जैसे ही एक झटका मारा उसके मुँह से आवाज़ आयी और उसने मुझे कसके पकड़ लिया.

उसने नाखून मेरी पीठ पर गड़ा दिए.

मैंने स्नेहा से पूछा- क्या हुआ?
स्नेहा- तुम्हारा लंड सीधा मेरी बच्चेदानी पर लगा!

मैं- दर्द हो रहा है?
स्नेहा- हां, मीठा-मीठा दर्द है. तुम करते जाओ … और अब रुको मत प्लीज!

मैं- पक्का ना?
स्नेहा- हां, तुम्हारा लंड बड़ा है. इससे पहले किसी का लंड मेरी बच्चेदानी पर नहीं लगा.

ये सुनकर मेरा जोश बढ़ गया. अब मैं जोर-जोर से धक्के लगाने लगा.

‘ओह फ़क … जोर से बेबी … यस फ़क मी हार्डर … ऐसे लंड से मैं कभी नहीं चुदी … डोंट स्टॉप बेबी … मुझे अपनी रंडी बनाकर चोदो … मत रहम करो मुझपर ना मेरी चूत पर … जोर-जोर से चोदो.’

स्नेहा हर धक्के के साथ पागल हो रही थी.
मैं अपने दोनों हाथों से उसके बूब्स दबा रहा था, उसकी जीभ चाट रहा था और तेज़-तेज़ झटके दे रहा था.

स्नेहा ने मेरे बाल पकड़ लिए थे और मुझे और तेज़ करने के लिए उत्तेजित कर रही थी.
इस बीच स्नेहा एक बार झड़ चुकी थी.

अब मैंने स्नेहा को घोड़ी बनाया और पीछे से उसकी गांड चौड़ी करके उसके गांड के छेद को चाटने लगा.

इससे स्नेहा और उत्तेजित हो गयी.
मैंने अपना लंड पीछे से स्नेहा की चूत में पेल दिया और धक्के देना शुरू कर दिया.

अब मैं धक्के के साथ-साथ स्नेहा की गांड पर चांटे भी मार रहा था.

लंड जाने से फच-फच की आवाज़ों के साथ फट फट की आवाजें भी आ रही थीं.

फिर मैंने स्नेहा को उठाया और सोफ़े पर टांगें चौड़ी करके बैठा दिया.
उसके बाद सोफ़े पर भी स्नेहा की धक्का पेल चुदाई की.

मैंने कंडोम नहीं पहन रखा था क्योंकि स्नेहा को कंडोम के साथ सेक्स करना पसंद नहीं था.
मैं उसकी चूत में ही झड़ गया.

स्नेहा इस बीच 3 बार झड़ चुकी थी.

अब हम दोनों अलग हुए और पलंग पर जाकर लेट गए.
स्नेहा ने अपना सर मेरे सीने पर रखा और मेरे गाल पर किस करते हुए कहा- ये मेरा आज तक का बेस्ट सेक्स था.

फिर हम दोनों बाथरूम में गए और मैंने स्नेहा का मूत पिया.

इसके बाद मैंने स्नेहा को 2 बार और चोदा और हम घर आ गए.
इस तरह से हमने डेटिंग ऐप सेक्स का मजा लिया.

मैंने रास्ते में एक गर्भ निरोध गोली लेकर स्नेहा को खिला दी थी.

इसके बाद मैंने स्नेहा को 6 महीने तक लगभग हर शनिवार को चोदा और उसे भी मेरे लंड की आदत लग गई थी.

इस बीच मैंने उसकी गांड भी मारी. चूत में उंगली करना, लंड मसलना ये आम बात थी.
मॉल आदि में ही मौका मिलते ही मैं उसकी चूत में उंगली कर देता था.

उसके बाद कोविड की वजह से मैं वापस नॉएडा नहीं जा पाया.
अब जब भी नॉएडा जाऊंगा तो स्नेहा को फिर चोदूंगा.

आपको मेरी सच्ची Xxx डेटिंग ऐप सेक्स कहानी कैसी लगी, मुझे मेल करके बताएं.
मैं आपको रिप्लाई जरूर दूंगा.
[email protected]

बड़ी गांड वाली देसी लड़की की चुदाई