देवर ने भाभी को चोदा. भाई के विदेश जाने से भाभी अकेली रह गयी तो मैं उनका ख्याल रखने लगा. वो उदास रहती थी. मैंने उनकी उदासी कैसे दूर की?
मेरा नाम मुदित है, मैं दिल्ली का रहने वाला हूँ. मैं आपके साथ अपना रसीला सेक्स अनुभव कि कैसे एक देवर ने भाभी को चोदा, साझा कर रहा हूँ.
जब मैंने पहली बार फ्री सेक्सी स्टोरीज डॉट कॉम साईट के बारे में जाना और उसे खोला, तो मुझे इस वेबसाईट से बहुत ख़ुशी हुई कि अब मैं भी अपना सेक्स अनुभव इधर भेज सकता हूँ.
मेरी फैमिली में मैं, मेरा बड़ा भाई, भाभी, मॉम और डैड हैं. मेरे भाई की शादी दो साल पहले एक बहुत खूबसूरत लड़की से हुई थी, जिनका नाम स्नेहा है.
शादी के दो महीने बाद मेरा भाई कनाडा चला गया. भाई के जाने के बाद स्नेहा यानि मेरी भाभी से मैं बहुत करीब हो गया.
अब उनके सभी काम मैं ही करता हूँ. मैं उनका बहुत सम्मान भी करता था क्योंकि वो बहुत ही सीधे स्वभाव की हैं.
भाभी ने मेरे लिए भी बहुत कुछ किया है. मैंने अब तक ये कभी नहीं सोचा था कि मेरा स्नेहा भाभी के साथ ऐसा हो जाएगा.
हुआ यूं कि एक दिन जब मॉम और डैड अपने एक दोस्त की पार्टी में गए थे, उस रात बहुत तेज बारिश हो रही थी.
मैं और भाभी टीवी देख रहे थे. भाभी बहुत उदास बैठी थीं.
मैंने भाभी से उनकी उदासी की वजह पूछी.
तो भाभी कहने लगीं कि ये उदासी तुम्हारी समझ में नहीं आएगी, ये सिर्फ एक लड़की ही समझ सकती है.
भाभी की बात मेरी समझ में नहीं आई.
मैं उनकी बात को टालते हुए भाभी को हंसाने की कोशिश कर रहा था.
उसी वक्त अचानक से लाइट चली गई. मैं और भाभी मोमबत्ती ढूंढने के लिए उठे और एक दूसरे से टकरा गए.
मेरा हाथ भाभी के सीने पर जा लगा. उनकी नर्म चूचियां मुझे लज्जत के साथ साथ एक तरंग सी भी दे गई थीं.
मुझे समझ आ गया था कि ये भाभी की चूचियां हैं, मैंने फ़ौरन भाभी सॉरी कहकर हाथ हटाने की कोशिश की.
लेकिन भाभी ने मेरे हाथ को पकड़ा और अपने सीने पर फेरने लगीं.
तो मैं उनकी इस हरकत से परेशान हो गया.
मैंने भाभी से पूछा कि ये आप क्या कर रही हैं?
भाभी कहने लगीं- यही तो मेरी उदासी का कारण है मुदित … अगर तुम मुझे खुश देखना चाहते हो तो जो मैं कर रही हूँ … मुझे कर लेने दो.
ये कहते हुए भाभी ने अपना हाथ मेरी पैंट पर दोनों टांगों के जोड़ पर रख दिया और मेरा लंड सहलाने लगीं.
पहले तो मैंने भाभी को थोड़ा दूर धकेलना चाहा तो वो मुझे किस करने लगीं.
मुझे कुछ समझ ही नहीं आया कि मैं क्या करूं.
उस बीच भाभी ने मेरे होंठों पर अपने होंठों को जमा दिया और वो मुझे ज़ोर ज़ोर से किस करने लगीं.
मेरी समझ में कुछ भी नहीं आ रहा था.
मेरा लौड़ा फूल कर बड़ा होने लगा.
भाभी ने उसको अपनी मुट्ठी में भरा और उसे मसलने लगीं.
कुछ पल बाद भाभी ने घुटनों के बल बैठ कर मेरी पैंट की ज़िप को भी खोल दिया और मेरे अंडरवियर में हाथ डालकर लंड को बाहर निकाल लिया.
लंड एकदम से तो कड़क नहीं था पर वो खड़ा होने लगा था.
किसी औरत के हाथ लगाने से लंड की लम्बाई कितनी हो सकती थी, ये मुझे अभी तक मालूम ही नहीं था.
मेरा लंड काफी लम्बा और मोटा होने लगा था.
मेरे मोटे लम्बे लंड को अपने हाथ से सहलाती हुई भाभी ने उसे अपने मुँह में भर लिया और मेरे लंड को चूसने लगीं.
ये मेरे लिए एक सपना सा था. मैंने अब तक इस सुख के बारे में सोचा ही न था.
मैं भी सब कुछ भूल गया और भाभी के सर पर हाथ रख कर अपने लंड को चूसे जाने का आनन्द लेने लगा.
कुछ ही देर में भाभी ने लंड को अपने गले तक लेना शुरू कर दिया था.
मैं बेकाबू हो गया था और अपने दिमाग को संज्ञाशून्य कर बैठा था. मुझे होश ही न था कि मैं किस दुनिया में चला गया हूँ.
मेरी आंखें बंद हो गई थीं और मुँह से सीत्कार निकलने लगी थी.
भाभी ने दो मिनट में ही मेरे लंड की मां चोद दी थी.
उसी समय लाइट आ गई और भाभी ने मेरे लंड को अपने मुँह से निकाल दिया.
मैंने उनकी तरफ देखा तो भाभी वासना से तप्त आंखों से मेरी आंखों में देख रही थीं.
उनके चेहरे पर थूक लग गया था जोकि लंड चूसने के कारण हो गया था.
मैंने भाभी को उठा कर खड़ा कर दिया और उन्हें चूमने लगा.
वो मेरे एक हाथ को पकड़ कर अपने ब्लाउज में डालने लगीं.
जैसे ही मेरा हाथ भाभी के मम्मों से टच हुआ, मुझे एक अजीब सी सनसनी हुई.
मैं भाभी के ब्लाउज के हुक खोलने लगा और उनकी ब्रा के ऊपर से ही उनके मम्मों को चूमने लगा.
अब हम दोनों वासना के नशे में थे, हमें कोई होश ही नहीं रह गया था.
अभी दो मिनट ही हुए होंगे कि अचानक से मॉम डैड के बात करते हुए अन्दर आने की आवाज आई.
भाभी ने फ़ौरन से मुझे रोका और कहने लगीं- सॉरी मुदित … मैं अपने आप पर कंट्रोल नहीं कर सकी इसलिए मुझसे ये भूल हो गई … प्लीज़ मुझे माफ़ कर दो और किसी से कुछ नहीं कहना. मैं अपने रूम में जा रही हूँ. इससे पहले कि मॉम डैड अन्दर आ जाएं, तुम भी अपने आपको ठीक कर लो.
ये कहकर भाभी अपने रूम में चली गईं.
मॉम डैड के अन्दर आने से पहले मैंने अपनी पैंट पैरों के ऊपर चढ़ाई और सामान्य होकर टीवी देखने लगा.
मॉम डैड अन्दर आ गए थे.
डैड ने मुझे देखा और कहा- मुदित तुम अभी तक सोये नहीं … और स्नेहा सो गई क्या?
मैंने कहा- हां डैड बारिश होने लगी थी और लाइट भी चली गई थी … तो मैं आप दोनों के लिए ही सोच रहा था कि पता नहीं आप कब तक आओगे. भाभी तो काफी पहले अपने कमरे में चली गई थीं, शायद वो सो गई हैं.
मॉम डैड ने कुछ देर बात की और मुझे सोने जाने के लिए कह दिया.
मैं अपने बिस्तर पर जाकर लेट गया.
अब मेरे दिमाग में एक अजीब सा तूफान चल रहा था. भाभी के मादक जिस्म का अहसास मेरे मन से जा ही नहीं रहा था.
दूसरे दिन से हम दोनों एक दूसरे के साथ पहले जैसे रहने की कोशिश करने लगे.
भाभी में तो कोई बदलाव नहीं आया था लेकिन मैं पहले जैसा नहीं रह पा रहा था.
मेरे दिमाग में बार बार भाभी का वो ही रूप सामने आ रहा था, जब भाभी मेरा लंड चूस रही थीं.
उनकी याद आते ही लंड खड़ा हो जाता और मैं बेचैन हो जाता.
दिन यूं ही बीत रहे थे लेकिन मेरी बेचैनी खत्म नहीं हो रही थी.
फिर एक दिन भाभी ने कहा कि उनके मॉम डैड और सारी फैमिली कुछ दिनों के लिए दुबई जा रही है.
मैंने कहा कि भाभी आप उन्हें सीऑफ़ करने क्यों नहीं जा रही हैं?
भाभी को मेरी बात पसंद आ गई.
उन्होंने मॉम डैड से पूछा, तो वो भी राजी हो गए.
डैड ने मुझसे कहा कि मुदित तू अपनी भाभी को उनके घर ले जाओ और सी ऑफ़ करने के बाद उन्हें वापस ले आना.
मैंने हां में सर हिला दिया.
दूसरे दिन मैं भाभी को उनके मॉम डैड के घर ले गया.
उन्हें वहीं छोड़ कर मैंने कहा कि मैं यहां करीब में ही अपने एक फ्रेंड के पास जाकर आता हूँ, फिर घर वापस चलेंगे.
जबकि मेरा वहां कोई दोस्त नहीं था, मैंने भाभी से झूठ कहा था.
मैं भाभी के कुछ दूर जाकर भाभी की फैमिली के जाने का इंतजार करने लगा था.
जब वो लोग चले गए तो मैं वापस आ गया.
भाभी तो वापस चलने के लिए एकदम तैयार खड़ी थीं लेकिन मैं नहीं था.
मेरे दिमाग में आज फिर से वही बात चल रही थी, जो उस दिन लाइट जाने के बाद हुआ था.
भाभी के घर में ही उनके डैड का ऑफिस था, जो उनके जाने के बाद भी खुलना था.
बंगले के बाहर गार्ड था और अन्दर ऑफिस स्टाफ के आने तक सिर्फ हम दोनों ही थे.
ये मौक़ा अच्छा था … मैंने भाभी से कहा कि कुछ देर बाद चलेंगे.
भाभी ने पूछा- कुछ देर बाद क्यों?
मैंने कहा- मुझे यहां आपसे कुछ काम है और इधर के ऑफिस स्टाफ तक तो रुकना ही है.
भाभी मान गईं. मगर उन्होंने मुझसे पूछा- तुम्हें कैसा काम है?
मैंने बिना कोई जवाब दिए भाभी के दोनों बाजुओं को पकड़ लिया.
इससे वो सहम गईं.
मैंने आहिस्ता से उनके होंठों को किस करने की कोशिश की.
वो फिलहाल इस बात के लिए रेडी नहीं थीं.
उन्होंने दूर हटते हुए कहा- राज, ये तुम क्या कर रहे हो?
मैंने फिर से उन्हें अपनी तरफ कहा- वही … जो उस रात आपने शुरू किया था.
भाभी डरती हुई बोलीं- वो मेरी गलती थी.
भाभी के मुँह से ये बात सुनने के बाद भी मैं नहीं माना और उन्हें होंठों पर किस करने की कोशिश करता रहा.
जब उनके होंठ मेरे काबू में नहीं आए तो मैंने भाभी के मम्मों पर किस करना शुरू कर दिया.
अब वो भी मचलने तो लगी थीं, लेकिन न जाने क्यों मुझे दूर हटाना चाहती थीं.
अब मैंने भाभी के मम्मों को दबाना शुरू कर दिया और उनके ब्लाउज के अन्दर हाथ डाल दिया.
भाभी कहने लगीं- अब बस दूर हट जाओ मुदित … प्लीज़.
मगर मैंने उनकी एक नहीं सुनी और उनका ब्लाउज उतारने की कोशिश करने लगा.
अब शायद भाभी का भी मूड बनने लगा था.
उन्होंने कहा- ठीक है … मगर ज़रा आहिस्ता से करो और तुम सिर्फ मेरे कपड़े ही उतारोगे और कुछ नहीं करोगे.
मैंने उनका ब्लाउज उतार दिया. भाभी ने काले रंग की ब्रा पहनी हुई थी. मैंने उनकी ब्रा को ऊपर किया, तो मुझे ऐसा लगा कि मैं इस दुनिया में ही नहीं हूँ.
भाभी के एकदम दूध से गोरे चूचे पूरी तरह से शेप में थे और उन पर गुलाबी रंग के निप्पल किसी इंग्लिश पोर्न ऐक्ट्रेस के जैसे मम्मे लग रहे थे.
एकदम भरे हुए दूध काफी रसीले थे. मैं उन्हें चूसने लगा. मुझे बहुत मज़ा आ रहा था.
लेकिन भाभी मुझे बार बार रोकने की कोशिश कर रही थीं
भाभी के मम्मों का रस चूसने की मस्ती में था मैं!
मैं उसी समय फुर्ती से अपने कपड़े उतारने लगा. अपनी शर्ट को उतारा … तो भाभी ने मेरे सीने पर किस किया और कहा- तुम तो बहुत स्मार्ट हो. इतनी जल्दी आगे बढ़ गए.
ये सुनकर मैंने अपना पैंट उतारने की कोशिश की तो भाभी ने मेरे पैंट को पकड़ लिया और कहा- अब बस करो. मैं तुमसे वादा करती हूँ कि आज मैंने जो कुछ किया, ये मैं तुम्हारी ख़ुशी के लिए फिर करूंगी … लेकिन अभी फिलहाल इसे ज्यादा और कुछ नहीं.
मैंने भाभी के हाथ को पैंट के उपर से हटा कर अपने लंड पर रख दिया.
भाभी ने एक सेकंड के लिए मेरे लंड को ज़ोर से पकड़ लिया … फिर छोड़ दिया.
मैंने अपने पैंट को उतार दिया और अंडरवियर भी निकाल फैंका.
मैं अब पूरी तरह से नंगा हो गया था. ये मेरे साथ पहली बार हुआ था.
भाभी मुझे नंगा देख कर परेशान हो गईं.
मैंने उनके हाथ को अपने तनतनाते हुए लंड पर रखा तो वो होश खो बैठीं और मेरे लंड को ज़ोर ज़ोर से दबाने लगीं.
फिर मैंने उन्हें कंधों से पकड़ कर नीचे बैठने का इशारा किया, तो वो घुटनों पर बैठ गईं और लंड चूसने लगीं.
जब वो मेरे लंड को चूस रही थीं तो मुझे बहुत मजा आ रहा था.
कुछ ही देर में लंड चुसाई अपने चरम पर गई और भाभी मेरे लौड़े को अपने गले गले तक लेने लगीं.
मैं पिघलना शुरू हो गया, मुझे इस बात का होश ही न रहा कि मैं भाभी से कह सकूं कि मेरा माल निकलने वाला है.
झड़ने से एक दो पल पहले स्नेहा भाभी का सर मैंने और जोर से अपने लंड पर दबा दिया और उनके मुँह में ही अपने लंड को खाली करने लगा.
भाभी का मुँह मेरी रबड़ी से भर गया. मुझे झड़ते वक्त परम आनन्द की अनुभूति हो रही थी.
भाभी ने भी कुछ नहीं कहा. वो मेरे लंड से निकले हुए वीर्य को गटकती चली गईं और उन्होंने लंड को चूस कर साफ कर दिया.
इसके बाद भाभी खड़ी हो गईं और खुद ही अपनी ब्रा उतार दिया.
मैंने भाभी की साड़ी और पेटीकोट को खींचना शुरू कर दिया.
कुछ ही पलों में भाभी को भी नंगी कर दिया और उन्हें अपने सीने से चिपका लिया.
भाभी मेरे कान में गर्म सांसें छोड़ने लगीं और बोलीं- राज, मैं बहुत प्यासी हूँ.
मैं समझ गया कि आज भाभी बिना चुदे नहीं रह सकती हैं. मेरा लंड इस बात को सोच कर फिर से फुदकने लगा.
मैंने अपना मुँह उनके एक चूची पर लगा दिया, तो भाभी किसी बच्चे के जैसे मुझे अपना दूध पिलाने लगीं.
मैं बहुत देर तक भाभी के दोनों मम्मों को बारी बारी से चूसता रहा.
हम दोनों खड़ी पोजीशन में थे तो मेरा लंड भाभी की चुत को लग रहा था, मुझे ऐसा लग रहा था जैसे लंड को करंट लग रहा हो.
तभी भाभी ने मुझे खींचा और बेडरूम में ले गईं. वहां हमने एक दूसरे को बहुत किस किया.
भाभी बेड पर लेट गईं और मैं भाभी के ऊपर चढ़ गया. मैं कभी भाभी के मम्मों को, तो कभी गले को, तो कभी उनके पेट को किस करने लगा.
फिर वो वक्त भी आ गया, जिसका मुझे इंतजार था.
हम दोनों ही वासना की मस्ती में थे.
भाभी ने अपनी टांगों को उठाते हुए हवा में फैला दिया. उनकी सफाचट गुलाबी चुत मेरे लंड के घुसने का इंतजार कर रही थी.
मैंने भाभी की चुत इंतजार खत्म किया और अपना लंड चुत की फांकों पर रगड़ दिया.
लंड का स्पर्श पाते ही भाभी मचलने लगीं. हम दोनों बहुत उत्तेजना महसूस कर रहे थे.
मैं आहिस्ता आहिस्ता भाभी की चुत में लंड पेलने लगा. मुझे बहुत गर्म लग रहा था, मैं कह नहीं सकता कि मुझे कितना मज़ा आ रहा था … बहुत उत्तेजित था.
तभी मैंने ज़ोर से धक्का मारा … तो भाभी उछल गईं और मेरा पूरा लंड चुत में घुसता चला गया.
भाभी तेज आवाज करती हुई ‘आह आह …’ करने लगीं. मैंने धकापेल शुरू कर दी और काफी देर तक भाभी की चुत में लंड अन्दर बाहर करता रहा.
तभी भाभी ने अपना बदन अकड़ाना शुरू कर दिया और वो मुझे जकड़ती हुई झड़ गईं.
मैं कुछ देर के लिए यूं ही रुक गया और भाभी निढाल हो गईं.
अब मैंने लंड फिर से चुत में चलाना शुरू किया, तो भाभी मुझे रोकने लगीं.
मैंने उन्हें देखा तो भाभी ने मुझे दूर होने के लिए कहा.
वो बोलीं- अब बस करो … बहुत देर हो गई है, हमें घर भी जाना है.
मैंने कहा- अभी मैं बाकी हूँ भाभी!
भाभी बोलीं- ओके, जल्दी करो और फ्री हो जाओ.
मैंने चुत में शॉट मारने शुरू किए और पांच मिनट बाद मैं भी भाभी की चुत में झड़ गया.
अब भाभी बोलीं- अब तो बाहर निकालो.
मैंने कहा- एक शर्त पर मैं अपना लंड बाहर निकालूंगा.
भाभी ने हंस कर कहा- मैं तुम्हारी शर्त जानती हूँ राज. हम फिर ऐसा करेंगे. अब तो मैं खुद भी यही चाहती हूँ.
भाभी की बात सुनकर मुझे बहुत ख़ुशी हुई.
फिर हम दोनों ने कपड़े पहने और घर चले गए.
इस तरह से देवर ने भाभी को चोदा.
अब हर रोज़ मॉम और डैड सोने के बाद मैं भाभी के कमरे में आ जाता हूँ और उनके साथ सेक्सी रातें गुजार रहा हूँ.
मैं और भाभी अब बहुत खुश हैं और हर रोज़ मुझे मेरी खूबसूरत, सेक्सी भाभी के साथ चुदाई करने का मौक़ा मिल रहा है.
आपको मेरी भाभी की चुदाई की कहानी जिसमें देवर ने भाभी को चोदा, कैसी लगी, प्लीज़ कमेंट्स करके जरूर बताएं.
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